ग्राम हराखेड़ा निवासी ममता पाटिल ने यह साबित कर दिया है कि अवसर और परिश्रम मिलने पर ग्रामीण महिलाएँ भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकती हैं। वर्ष 2019 में उन्होंने सीताराम आजीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का संकल्प लिया।
ममता पाटिल बताती हैं कि समूह से जुड़ने से पहले उनके पास कोई स्थायी आय का स्रोत नहीं था। पारिवारिक जिम्मेदारियाँ और आर्थिक तंगी के कारण परिस्थितियाँ चुनौतीपूर्ण थीं। लेकिन समूह में शामिल होने के बाद उन्हें बैंक से चरणबद्ध ऋण सुविधा प्राप्त हुई – पहले 1 लाख, फिर 2.5 लाख और बाद में 6 लाख रुपये।
इन राशियों का सही उपयोग करते हुए उन्होंने किराए पर दुकान शुरू की। आज उनकी दुकान में 70 से 80 हजार रुपये तक का सामान उपलब्ध रहता है और वे प्रतिमाह लगभग 15 हजार रुपये की शुद्ध बचत कर रही हैं। उनका लक्ष्य निकट भविष्य में स्वयं की दुकान खरीदकर कारोबार को और मजबूत करना है।
दुकान संचालन के साथ-साथ वे विद्यालयों और आंगनवाड़ी केंद्रों में मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था का कार्य भी संभाल रही हैं। इस बहुआयामी प्रयास से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति स्थिर हुई है और आत्मनिर्भरता की राह खुली है।
ममता पाटिल का कहना है कि स्वयं सहायता समूह और आजीविका योजनाएँ ग्रामीण महिलाओं के लिए वास्तविक बदलाव ला रही हैं। उन्होंने अन्य महिलाओं से भी आग्रह किया कि वे आगे बढ़कर इन योजनाओं से जुड़ें और अपनी आय का साधन स्थापित करें।
उन्होंने समूह के सहयोगियों और प्रदेश शासन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह की योजनाएँ महिलाओं को केवल आर्थिक रूप से सशक्त नहीं करतीं बल्कि परिवार और समाज दोनों को नई दिशा देती हैं।
आपको यह भी पसंद आ सकता है
Loading...
कोई टिप्पणी नहीं: