अभ्युदय-2025: पत्रकारिता में जागरूकता और नैतिकता की नई परिभाषा

अभ्युदय-2025: पत्रकारिता में जागरूकता और नैतिकता की नई परिभाषा

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCU), भोपाल में आयोजित “अभ्युदय-2025” का आगाज़ न सिर्फ़ विश्वविद्यालय के नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत थी, बल्कि यह पत्रकारिता के लिए नई दिशा, जागरूकता और नैतिकता का उत्सव भी रहा। तीन दिवसीय इस भव्य आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रसिद्ध कवि-वक्ता डॉ. कुमार विश्वास की उपस्थिति ने इसे और भी ऐतिहासिक बना दिया।

इस कार्यक्रम का केंद्रबिंदु रहा—पत्रकारिता का बदलता स्वरूप, लोकतंत्र की मजबूती, और समाज में मीडिया की जिम्मेदारी। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहर पर भी विशेष बल दिया गया।


पत्रकारिता: सत्य और जागरूकता की निरंतर यात्रा

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में कहा कि “अभ्युदय केवल एक शुरुआत नहीं, बल्कि यह सत्य की खोज और समाज को सही दिशा देने की निरंतर यात्रा है।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि रामायण में हनुमानजी के संवाद और महाभारत में यक्ष-प्रश्न जैसी घटनाएं बताती हैं कि संचार और संवाद की परंपरा भारतीय संस्कृति में कितनी गहरी रही है।

उन्होंने छात्रों को संदेश दिया कि वे पत्रकारिता को केवल एक करियर न मानें, बल्कि इसे समाज की सेवा का माध्यम समझें। लोकतंत्र की रक्षा, सच की तलाश और जनता की आवाज़ को उठाना ही पत्रकारिता का असली धर्म है।


नारदजी: पत्रकारिता के प्रथम प्रवर्तक

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से नारदजी का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें पत्रकारिता का पहला प्रवर्तक माना जा सकता है।

  • नारदजी केवल सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं करते थे, बल्कि समाज और संस्कृति को जोड़ने का काम भी करते थे।

  • आज के दौर में पत्रकारों को भी इसी भूमिका को निभाने की ज़रूरत है, ताकि समाज में एकता और जागरूकता कायम रह सके।

साथ ही, मुख्यमंत्री ने कहा कि MCU जैसे संस्थान, जिनका नाम पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर है, को यह दायित्व निभाना होगा कि वे पत्रकारिता की असली आत्मा को जीवित रखें।


“कुलपति” से “कुलगुरु” तक: शिक्षा में गरिमा की पहल

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने एक बड़ा ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में “कुलपति” शब्द की जगह “कुलगुरु” शब्द का प्रयोग किया जाएगा।
इस बदलाव का मकसद है—शिक्षा में गुरु को सर्वोच्च स्थान देना

उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में गुरु को हमेशा ईश्वर के समान दर्जा दिया गया है, इसलिए शिक्षा जगत में भी उनकी गरिमा बनी रहनी चाहिए।


कुमार विश्वास का प्रेरक संदेश: पत्रकारिता में हनुमान और जामवंत की भूमिका

कार्यक्रम के विशेष आकर्षण रहे कवि-वक्ता डॉ. कुमार विश्वास। उन्होंने पत्रकारिता छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि एक सच्चे पत्रकार को हनुमान और जामवंत की तरह होना चाहिए।

  • हनुमान की तरह सेवा-भाव और समर्पण।

  • जामवंत की तरह बुद्धिमत्ता और सही दिशा देने की क्षमता।

कुमार विश्वास ने कहा कि आज की पत्रकारिता में सबसे बड़ा खतरा है—सतही और पक्षपातपूर्ण खबरें। उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे पत्रकारिता को व्यापार न बनाएं, बल्कि इसे जनता की सेवा और समाज सुधार का साधन बनाएं।


पर्यावरण संरक्षण: 1111वां पौधा और नया संदेश

अभ्युदय-2025 के दौरान पंडित माखनलाल चतुर्वेदी की प्रतिमा का अनावरण किया गया। इसके बाद विश्वविद्यालय परिसर में पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें 1111वां पौधा—कृष्णवट लगाया गया।
इस पहल का मकसद था यह संदेश देना कि पत्रकारिता सिर्फ़ शब्दों तक सीमित न रहे, बल्कि वह प्रकृति और समाज दोनों के लिए ज़िम्मेदार हो।


“100 साल : 100 सुर्खियां” प्रदर्शनी

कार्यक्रम का एक और प्रमुख आकर्षण था—“100 साल : 100 सुर्खियां” प्रदर्शनी।

  • इसमें स्वतंत्रता पूर्व और स्वतंत्रता पश्चात की प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं को समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ के रूप में प्रस्तुत किया गया।

  • छात्रों और अतिथियों ने इसे बेहद सराहा, क्योंकि इससे उन्हें पत्रकारिता के ऐतिहासिक सफर और उसकी जिम्मेदारियों को करीब से समझने का अवसर मिला।


मीडिया और लोकतंत्र: चुनौतियां और संभावनाएं

आज का युग डिजिटल है और मीडिया पर सबसे बड़ा दबाव है तेज़ी से खबरें देने का

  • इस दौड़ में कई बार सत्य और संतुलन खो जाते हैं।

  • फेक न्यूज और प्रोपेगैंडा पत्रकारिता की सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।

मुख्यमंत्री और कुमार विश्वास दोनों ने कहा कि पत्रकारों को चाहिए कि वे सोशल मीडिया के प्रभाव से सावधान रहें और खबर को हमेशा तथ्यों पर आधारित करें।

लोकतंत्र तभी सुरक्षित है जब पत्रकारिता निष्पक्ष और सच के साथ खड़ी हो।


MCU: पत्रकारिता का तीर्थस्थान

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय देश के उन संस्थानों में से है, जिन्हें पत्रकारिता के आदर्श, नैतिकता और सत्य की प्रयोगशाला कहा जा सकता है।
यहां से निकलने वाले पत्रकार सिर्फ पेशेवर नहीं, बल्कि लोकतंत्र के प्रहरी कहलाते हैं।


अभ्युदय-2025 कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि पत्रकारिता केवल समाचार प्रस्तुत करने का माध्यम नहीं, बल्कि यह समाज की आत्मा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का संदेश—“अभ्युदय एक यात्रा है, सत्य और जागरूकता की निरंतर खोज”—ने छात्रों को नई दिशा दी। वहीं, कुमार विश्वास का प्रेरक वक्तव्य इस कार्यक्रम की आत्मा रहा, जिसमें उन्होंने पत्रकारों को हनुमान और जामवंत जैसे गुण अपनाने की सलाह दी।

पर्यावरण संरक्षण की पहल, “कुलगुरु” की संज्ञा, और “100 साल : 100 सुर्खियां” प्रदर्शनी इस आयोजन को ऐतिहासिक बना देती हैं।

पत्रकारिता की गरिमा और ताकत तभी जीवित रह सकती है जब उसमें सत्य, सेवा-भाव, नैतिकता और विवेक का संतुलन बना रहे। यही संदेश अभ्युदय-2025 ने सभी तक पहुंचाया।

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