कोटा। पश्चिम मध्य रेलवे, कोटा मंडल द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, दशकों से देश के सबसे दूरस्थ और दुर्गम राज्यों में गिने जाने वाले मिज़ोरम को अब राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ दिया गया है। 51.38 किलोमीटर लंबी बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन का निर्माण लगभग 8,000 करोड़ रुपये की लागत से पूरा हुआ है।
इस रेल परियोजना में 45 सुरंगें और 153 पुल शामिल हैं। इनमें से एक पुल 114 मीटर ऊँचा है, जो कुतुब मीनार से भी ऊँचा और भारत का दूसरा सबसे ऊँचा रेल पुल है। लाइन पर पाँच स्टेशन बनाए गए हैं, जिनमें से चार – होरटोकी, कानपुई, मुआलखांग और सैरांग – बिल्कुल नए हैं।
यात्रा का समय और लागत में कटौती
अब तक मिज़ोरम की राजधानी आइज़ोल तक पहुँचना बेहद कठिन था। सड़क मार्ग से सिलचर से आइज़ोल पहुँचने में सात घंटे लगते थे, जो मानसून में और भी बाधित हो जाते थे। नई रेल लाइन से यह दूरी अब मात्र तीन घंटे में तय हो सकेगी। यात्री ट्रेनें 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगी, जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यापारिक केंद्रों तक पहुँच आसान होगी।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
रेलवे के परिचालन से मिज़ोरम की कृषि उपज – बाँस, मिर्च, संतरा, अदरक और अनानास – को देश के बड़े बाज़ारों तक कम लागत में पहुँचाया जा सकेगा। अब तक खराब परिवहन के कारण फसलों का 25–30% हिस्सा बर्बाद हो जाता था। रेल संपर्क से यह नुकसान आधा होने की उम्मीद है।
सड़क मार्ग पर जहाँ परिवहन की लागत 15–20 रुपये प्रति किलो तक आती थी, वहीं रेलवे से यह लागत 30–40% तक कम हो जाएगी। इससे रोज़मर्रा की वस्तुएँ – ईंधन, सीमेंट और खाद्य सामग्री – 10–20% सस्ती हो सकती हैं।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि मिज़ोरम का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) हर साल 500–700 करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है। वर्तमान में यह लगभग ₹25,000 करोड़ है।
रोज़गार और पर्यटन की नई संभावनाएँ
निर्माण के दौरान हज़ारों स्थानीय लोगों को रोज़गार मिला। भविष्य में लॉजिस्टिक्स, खुदरा, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में हर साल 3,000–5,000 नौकरियाँ उत्पन्न होने का अनुमान है। सरकार का अनुमान है कि आने वाले पाँच वर्षों में राज्य में 40–50% अधिक पर्यटक पहुँचेंगे। इससे होमस्टे, होटल और हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
रणनीतिक महत्व और क्षेत्रीय संपर्क
यह रेलमार्ग न केवल मिज़ोरम को भारत से जोड़ता है, बल्कि इसे म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह के नज़दीक लाकर एक्ट ईस्ट नीति के तहत अंतर्राष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला से भी जोड़ता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले वर्षों में मिज़ोरम भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच 10–12 अरब डॉलर के व्यापार का पारगमन केंद्र बन सकता है।
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चुनौतियाँ और स्थायित्व
परियोजना के निर्माण के दौरान भूस्खलन, कठिन भूगोल और 2023 में हुए एक दुखद हादसे (26 मज़दूरों की मौत) जैसी चुनौतियाँ सामने आईं। इसके बावजूद, सुरंगों और ऊँचे पुलों के निर्माण से वनों की कटाई और पर्यावरणीय क्षति को कम करने का प्रयास किया गया।
बैराबी–सैरांग रेलवे लाइन केवल एक परिवहन परियोजना नहीं, बल्कि मिज़ोरम की सामाजिक-आर्थिक तस्वीर बदलने वाला कदम है। यह यात्रा समय घटाने, लागत कम करने, कृषि व व्यापार को बढ़ावा देने और पर्यटन को नई ऊँचाई पर ले जाने की क्षमता रखती है।
मिज़ोरम के 12 लाख लोगों के लिए यह रेल संपर्क सिर्फ़ यात्रा का साधन नहीं, बल्कि समृद्धि, समावेशिता और अवसर का प्रतीक है।
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