सीसीटीवी से लेकर मुखबिर तंत्र तक – 10 दिन की भागदौड़ के बाद अयोध्यानगर पुलिस की बड़ी सफलता
भोपाल।
राजधानी भोपाल की अयोध्यानगर थाना पुलिस ने उस सनसनीखेज हत्याकांड का पर्दाफाश कर दिया है, जिसने शहर को हिला दिया था। घटना 6 अगस्त 2025 की सुबह करीब 4 बजे की है, जब मिनाल गेट क्रमांक-3 के पास स्थित पेट्रोल पंप पर BA.LLB का छात्र संस्कार बबेले की निर्मम हत्या कर दी गई थी। आरोपियों ने पेट्रोल डलवाने की छोटी-सी बात पर छात्र पर धारदार हथियार से हमला कर उसकी जान ले ली थी। इस घटना में मृतक का दोस्त अनमोल दुबे भी गंभीर रूप से घायल हुआ था।
घटना के बाद से ही आरोपी फरार हो गए थे और लगातार पुलिस को चकमा देते हुए भोपाल से लेकर ग्वालियर, भिंड और आगरा तक भागते रहे। लेकिन पुलिस की कड़ी मेहनत, तकनीकी विश्लेषण और मुखबिर तंत्र की सक्रियता से अंततः आरोपी पुलिस के शिकंजे में आ गए। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त धारदार हथियार और एक्टिवा गाड़ी भी बरामद की है।
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घटना कैसे हुई : पेट्रोल डलवाने को लेकर हुआ विवाद
6 अगस्त की सुबह BA.LLB का छात्र संस्कार बबेले, जो मूल रूप से बीना का रहने वाला था और इंदौर में पढ़ाई कर रहा था, अपने दोस्त अनमोल दुबे से मिलने भोपाल आया हुआ था। दोनों ने साथ बैठने के बाद पेट्रोल डलवाने का निश्चय किया और एक्टिवा से मिनाल गेट क्रमांक-3 स्थित पेट्रोल पंप पर पहुंचे।
पंप पर पहले से ही तीन बदमाश अपनी एक्टिवा लेकर खड़े थे। पेट्रोल पहले डलवाने को लेकर आरोपियों और संस्कार- अनमोल के बीच विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि आरोपी गाली-गलौज पर उतर आए और देखते ही देखते उन्होंने धारदार छुरी निकाल ली।
संजय (परिवर्तित नाम) नामक आरोपी ने सबसे पहले संस्कार पर हमला किया और उसके माथे और पेट पर गहरे वार किए। संस्कार को बचाने आए दोस्त अनमोल दुबे पर भी आरोपियों ने वार किया और उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। चंद ही मिनटों में स्थिति ऐसी बनी कि संस्कार मौके पर ही लहूलुहान होकर गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई। तीनों आरोपी वारदात को अंजाम देने के बाद एक्टिवा से फरार हो गए।
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पुलिस महकमे में मचा हड़कंप
राजधानी में पेट्रोल पंप जैसी भीड़भाड़ वाली जगह पर हुई इस निर्मम हत्या ने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अवधेश गोस्वामी ने तत्काल आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी के निर्देश दिए।
पुलिस उपायुक्त (जोन-2) डॉ. संजय कुमार अग्रवाल ने अलग-अलग टीमें गठित कीं। इन टीमों ने अति. पुलिस उपायुक्त गौतम सोलंकी और सहायक पुलिस आयुक्त (एमपी नगर संभाग) मनीष भारद्वाज के मार्गदर्शन में काम करना शुरू किया।
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सीसीटीवी फुटेज ने दी अहम सुराग
हत्या के तुरंत बाद पुलिस की पहली नजर पेट्रोल पंप और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों पर गई। फुटेज में तीनों आरोपी एक्टिवा पर सवार दिखे। तकनीकी जांच और गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर से उनकी पहचान की गई।
जब पुलिस ने उनके घरों पर दबिश दी तो पता चला कि आरोपी घटना के बाद से फरार हो चुके हैं और मोबाइल फोन भी बंद कर दिए हैं। इसके बाद पुलिस ने मुखबिर तंत्र सक्रिय किया और आरोपियों की तलाश का बड़ा अभियान छेड़ दिया।
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फरारी की दास्तान : ग्वालियर से आगरा तक भागते रहे आरोपी
पुलिस की जांच में पता चला कि आरोपी सबसे पहले बैरसिया से गंजबासोदा पहुंचे। वहां उन्होंने घटना में प्रयुक्त एक्टिवा रेलवे स्टेशन पार्किंग में खड़ी की और ट्रेन से ग्वालियर रवाना हो गए। ग्वालियर से भिंड के अटेर इलाके में छिपने की योजना बनाई, लेकिन पुलिस के दबाव के चलते वहां से भी भाग खड़े हुए।
आरोपी उसके बाद आगरा पहुंचे, लेकिन पुलिस वहां भी उनके पीछे पहुंच गई। आगरा से चकमा देकर वे फिर ग्वालियर लौटे और राजस्थान जाने का प्रयास किया। लगातार पुलिस का दबाव देख आरोपियों को कहीं आश्रय नहीं मिला। अंततः उन्होंने भोपाल लौटने का फैसला किया।
भोपाल आने के बाद आरोपी अलग-अलग स्थानों पर छिपते रहे – सिहोर के कुबेरेश्वरधाम, बालमपुर, मंडीदीप, बैरसिया आदि। लेकिन पुलिस ने पीछा नहीं छोड़ा और अंततः तीनों आरोपियों को भोपाल से गिरफ्तार कर लिया गया।
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आरोपियों से बरामदगी
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से हत्या में प्रयुक्त धारदार हथियार (छुरी), घटना में इस्तेमाल की गई एक्टिवा और अन्य सामग्री जब्त की।
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आरोपी कौन हैं?
आरोपी 1 – संजय (परिवर्तित नाम), उम्र 24 वर्ष, निवासी पूजा कॉलोनी करोंद
शिक्षा – 8वीं तक
इस आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड बेहद लंबा है। हत्या, लूट, चोरी, आर्म्स एक्ट, मारपीट सहित 14 से अधिक प्रकरण उसके खिलाफ दर्ज हैं।
आरोपी 2 – दिनेश (परिवर्तित नाम), उम्र 24 वर्ष, निवासी आदर्श अस्पताल के पीछे, करोंद
शिक्षा – अनपढ़
व्यवसाय – किराए का ऑटो चलाता है
इसके खिलाफ भी चोरी, लूट, आर्म्स एक्ट, जुआ-सट्टा और मारपीट जैसे कई प्रकरण दर्ज हैं।
आरोपी 3 – सुभाष (परिवर्तित नाम), उम्र 25 वर्ष, निवासी करोंद
शिक्षा – अनपढ़
व्यवसाय – मजदूरी करता है
इसके खिलाफ भी हत्या, मारपीट और आर्म्स एक्ट सहित कई गंभीर प्रकरण पहले से दर्ज हैं।
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पुलिस टीम की सराहनीय भूमिका
पूरे प्रकरण के खुलासे में थाना प्रभारी महेश लिल्हारे के नेतृत्व में पुलिस टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। निरीक्षक, उपनिरीक्षक, प्रधान आरक्षक और आरक्षकों ने लगातार दबिश दी और तकनीकी सेल की मदद से आरोपियों को ट्रैक करते रहे।
पुलिस टीम के जिन सदस्यों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया उनमें –
उनि. विजय करचुली
उनि. सुदील देशमुख
उनि. जयवीर सिंह बघेल
सउनि. मनोज कछवाह
सउनि. मुश्ताक खान
प्रआर अमित व्यास, बृजेश सिंह, रुपेश जादौन, सुदीप राजपूत, भागवत कुशवाह, राजेन्द्र राजपूत
म.प्रआर. रोशनी जैन, प्रआर दिनेश मिश्रा, मनीष मिश्रा, पुष्पेन्द्र, सतीश यादव, राजेश, अंबरीश तिवारी, नीरज साहू, मनमोहन, अपर्णा कटारे, जीवन, राहुल जाट, जितेन्द्र जाट
तकनीकी सेल के भूपेन्द्र उईके और दीपक आचार्य
की अहम भूमिका रही।
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क्या है संदेश?
इस हत्याकांड ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि अपराधियों में किस कदर रौबदारी और दहशत फैलाने की मानसिकता घर कर चुकी है। मामूली विवाद पर धारदार हथियार से हमला करना और खुलेआम हत्या कर देना इसी मानसिकता का हिस्सा है।
हालांकि, भोपाल पुलिस ने तेजी से कार्रवाई कर आरोपियों को गिरफ्तार कर यह साबित किया है कि कानून से बड़ा कोई नहीं है। पुलिस आयुक्त ने टीम की सराहना करते हुए कहा कि राजधानी में अपराधियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
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